‘मन की बात’ का 100वां एपिसोड-पीएम मोदी की खास बातें

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पीएम नरेंद्र मोदी ने आज अपने कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 100वें एपिसोड देश की जनता के सामने पेश में किया. पीएम मोदी आज बिल्कुल खास अंदाज में लोगों से रूबरू हुए. भारत के कोने-कोने से लेकर विदेशों में भी लोगों में खास उत्साह देखने को मिला. लंदन और अमेरिका तक में भी इस खास एपिसोड का प्रसारण हुआ. करोड़ों लोग पीएम मोदी के मन की बात कार्यक्रम का हिस्सा बने. विदेशमंत्री जयशंकर जहां भारतीयों के समुह के साथ यूएस में ‘मन की बात’ के 100वें एपिसोड को सुना तो केंद्रीय मंत्रियों ने देश के विभिन्न राज्यों में ‘मन की बात’ के 100वें एपिसोड को लोंगों के बीच सुना.
पीएम मोदी ने इस दौरान अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा से लेकर कश्मीर के मंजूर और हरियाणा के सुनील जगलान तक का जिक्र किया. पर्यावरण से लेकर बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ और अमृतकाल तक की बात कही बोले, ‘इस कार्यक्रम के जरिए कई जनआंदोलन शुरू हुए। लोगों ने इसे खूब पसंद किया.’ प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ के सफर के बारे में विस्तार से बताया.

आपके पत्र ने मुझे भावुक किया- PM

‘आज मन की बात का 100वां एपिसोड है. मुझे आप सबकी हजारों चिट्ठियां और संदेश मिले. कोशिश की है कि ज्यादा से ज्यादा चीजों को पढ़ पाऊं देख पाऊं. संदेशों को समझने की कोशिश करूं, कई बार पत्र पढ़ते वक्त भावुक हो गया, भावनाओं में बह गया और संभाला. 100वें एपिसोड पर सच्चे दिल से कहता हूं कि बधाई आपने दी, पात्र आप सभी श्रोता हैं’

पीएम मोदी के मन की बात की खास बातें

इसमें पॉजिटिविटी को सेलीब्रेट करते हैं- PM

‘3 अक्टूबर 2014 को विजया दशमी का वो पर्व था और हम सबने मिलकर विजया दशमी के दिन ‘मन की बात’ की यात्रा शुरू की थी. विजया दशमी यानी, बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व, ‘मन की बात’ भी देशवासियों की अच्छाइयों का सकारात्मकता का एक अनोखा पर्व बन गया है. एक ऐसा पर्व, जो हर महीने आता है, जिसका इंतजार हम सभी को होता है. हम इसमें पॉजिटिविटी को सेलीब्रेट करते हैं हम इसमें लोगों की भागीदारी को भी सेलीब्रेट करते हैं.

ओबामा के साथ मन की बात की तो दुनिया में इसकी चर्चा-PM

‘जब मैंने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ मन की बात की तो इसकी चर्चा दुनिया में हुई.मन की बात मेरे लिए दूसरों के गुणों की पूजा का मौका है. मेरे मार्गदर्शक थे लक्ष्मण राव, वो कहते थे कि हमें दूसरों के गुणों की पूजा करनी चाहिए. उनकी इस बात ने मुझे प्रेरणा देती है, यह कार्यक्रम दूसरों से सीखने की प्रेरणा बन गया है. इसने मुझे आपसे कभी दूर नहीं होने दिया.’

मन की बात से खड़े हुए जन आंदोलन- PM

‘मन की बात के जरिए कितने ही आंदोलन खड़े हुए. ‘मन की बात’ जिस विषय से जुड़ा, वो जन आंदोलन बन गया. खिलौनों की इंडस्ट्री को फिर से स्थापित करने का मिशन मन की बात से ही शुरू हुआ था.हमारे भारतीय श्वान (देशी कुत्ते) के बारे में जागरूकता बढ़ाने की शुरुआत भी मन की बात से ही शुरू हुई थी. इसके साथ ही गरीब और छोटे दुकानदारों से झगड़ा न करने की मुहिम भी शुरू की गई थी. ऐसे हर प्रयास समाज में बदलाव का कारण बने हैं.’

पर्यावरण को लेकर प्रयास भी जारी, देश के टूरिज्म प्लेसों पर जाना चाहिए-PM

‘मैं हमेशा ही कहता हूं कि हमें विदेश में टूर जाने से पहले अपने देश के टूरिज्म प्लेसों पर जाना चाहिए.ऐसे ही हमने स्वच्छ सियाचिन, सिंगल यूज प्लास्टिक और ई-वेस्ट पर भी बात की है. आज दुनिया जिस पर्यावरण को लेकर इतनी परेशान है, उसे लेकर मन की बात का प्रयास भी जारी है. यूनेस्को की डीजी ने मन की बात के 100वें एपिसोड पर बधाई दी है और एक संदेश भी भेजा है.’

2030 तक हर जगह अच्छी शिक्षा पहुंचाना चाहते हैं, संस्कृति को भी बचाना चाहते हैं- PM

‘भारत और यूनेस्को का इतिहास बहुत पुराना है एजुकेशन पर यूनेस्को काम कर रहा है. 2030 तक हम हर जगह अच्छी शिक्षा पहुंचाना चाहते हैं. हम संस्कृति को भी बचाना चाहते हैं. आप भारत का इसमें रोल बताइए? आपसे बात करके खुशी हो रही है. आपने शिक्षा और संस्कृति संरक्षण पर सवाल पूछा है. ये दोनों विषय मन की बात के पसंदीदा विषय रहे हैं. नेशनल एजुकेशन पॉलिसी या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई का विकल्प जैसे प्रयास हुए हैं. गुजरात में गुणोत्सव और शाला प्रवेश उत्सव शुरू किए थे.’

देशवासी से कटकर नहीं रह सकता,देशवासी सबकुछ- PM

‘जब मैं गुजरात का सीएम था, तब सामान्य तौर पर लोगों से मिलना-जुलना हो जाता था. 2014 में दिल्ली आने के बाद मैंने पाया कि यहां का जीवन और काम का स्वरूप अलग है. सुरक्षा का तामझाम, समय की सीमा सबकुछ अलग है. शुरुआती दिनों में खाली-खाली सा महसूस करता था. 50 साल पहले घर इसलिए नहीं छोड़ा था कि अपने ही देशवासियों से संपर्क नहीं हो पाएगा. देशवासी सबकुछ हैं और उनसे कटकर नहीं रह सकता था. मन की बात ने मुझे मौका दिया. पदभार और प्रोटोकॉल व्यवस्था तक सीमित रहा. जनभाव मेरा अटूट अंग बन गया.’

कल्चरल प्रिजर्वेशन के प्रयासों को भी जगह दी- PM

‘मन की बात में हमने लोगों के प्रयासों को हाईलाइट किया.एक बार हमने ओडिशा में ठेले पर चाय बेचने वाले स्वर्गीय डी प्रकाश राव के बारे में बात की, जो गरीब बच्चों को पढ़ाते थे। झारखंड के संजय कश्यप, हेमलता जी का उदाहरण हमने दिया. कल्चरल प्रिजर्वेशन के प्रयासों को भी जगह दी. लक्षद्वीप का क्लब, कर्नाटक का कला चेतना मंच.देश के कोने-कोने से मुझे उदाहरण भेजे गए। देशभक्ति पर गीत, लोरी और रंगोली के कम्पटीशन शुरू किए.स्टोरी टेलिंग पर भी  बात की. इस साल हम जी-20 की अध्यक्षता कर रहे हैं यह वजह है कि एजुकेशन के साथ डायवर्स ग्लोबल कल्चर को समृद्ध करने के लिए प्रयास और तेज हुआ है.’

देशवासियों की सेवा और सामर्थ्य ने प्रेरणा दी

पीएम नरेन्द्र मोदी  ने 100वें एपिसोड में कहा कि, ‘उपनिषदों में कहा गया है- चलते रहो, चलते रहो, चलते रहो. आज हम इसी चरैवेति भावना के साथ मन की बात का 100वां एपिसोड पूरा कर रहे हैं. भारत के सामाजिक ताने-बाने को मजबूती देने में मन की बात माला के धागे की तरह है. हर एपिसोड में देशवासियों की सेवा और सामर्थ्य ने प्रेरणा दी है. एक तरह से मन की बात का हर एपिसोड अगले एपिसोड की जमीन तैयार करता है. यह कार्यक्रम हमेशा सद्भावना,सेवा भावना से आगे बढ़ा है.”’मन की बात से जो शुरुआत हुई, वह देश की नई परंपरा भी बन रही है. ऐसी परंपरा, जिसमें सबका प्रयास की भावना दिखती है.
आकाशवाणी के साथियों को भी धन्यवाद, जो धैर्य के साथ इसे रिकॉर्ड करते हैं, ट्रांसलेटर जो विभिन्न भाषाओं में अनुवाद करते हैं, दूरदर्शन और माई गांव, इलेक्ट्रॉनिक चैनल्स का भी आभार व्यक्त करता हूं.उन्हें भी आभार देता हूं जो मन की बात की कमान संभाले हुए हैं.

‘आज समय और शब्द दोनों कम पड़ रहे हैं, मुझे भरोसा है कि आप मेरे भाव और भावनाओं को समझेंगे. आपके परिवार के सदस्य के रूप में आपके साथ रहा हूं, आपके बीच में रहा हूं और आपके बीच में रहूंगा. अगले महीने फिर मिलेंगे’

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