नई दिल्लीः देश में “आजादी का अमृत महोत्सव” की तैयारियां चरम पर है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के राष्ट्रपति भवन सांस्कृतिक केंद्र में आजादी का अमृत महोत्सव की राष्ट्रीय समिति की तीसरी बैठक की अध्यक्षता की। पीएम मोदी ने शनिवार को भारत की स्वतंत्रता के 75 साल पूरे होने पर ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मनाने के लिए गठित राष्ट्रीय समिति की अध्यक्षता की। यह इस मामले से जुड़ी तीसरी बैठक थी।राष्ट्रीय समिति की पहली बैठक 12 मार्च 2021 को प्रधानमंत्री द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव के शुभारंभ से पहले 8 मार्च 2021 को आयोजित की गई थी
बैठक में विपक्ष के नेताओं के साथ दिखा पीएम मोदी का अलग अंदाज
आजादी के 75 साल पूरे होने पर सरकार की तैयारियां जोरों पर है। ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मनाने के लिए गठित राष्ट्रीय समिति की तीसरी बैठक के मौके पर पीएम मोदी का विपक्ष के नेताओं के साथ एक अलग अंदाज दिखा। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारुक अब्दुल्ला भी पीएम के साथ अलग अंदाज में दिखे। अनुपम खेर और कलराज मिश्र भी साथ खड़े नजर आए। पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार, डीएमके सांसद तिरुचि शिवा। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के सीताराम येचुरी और सपा के रामगोपाल यादव के साथ मशहूर नृत्यांगना सोनल मानसिंह के साथ कई गण्यमान लोग मौजूद रहे। पीएम मोदी के साथ इस बैठक में शामिल होने सिर्फ राजनेता ही नहीं पहुंचे थे। बल्कि भारत की नेशनल बैंडमिंटन टीम के कोच पुल्लेला गोपीचंद भी इसमें शामिल हुए।
‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के विचार को आगे बढ़ाना चाहिए- PM Modi
पीएम मोदी ने कहा कि तिरंगा एकता का प्रतीक है, जो देश के लिए सकारात्मकता और समृद्धि लेकर आता है। हमें अपनी एकता का संरक्षण और संवृद्धि करनी चाहिए। ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के विचार को आगे बढ़ाना चाहिए। जानकारी के मुताबिक, पीएम ने कहा कि हमारे युवाओं को राष्ट्र निर्माण के साथ भावनात्मक रूप से जोड़ने का यह स्वर्णिम अवसर है। यह युवाओं के लिए संस्कार उत्सव है, जो उनमें देश के लिए योगदान का जज्बा पैदा करेगा।
‘इंडिया@100’ का दृष्टिकोण-यूथ, जल और पर्यावरण संरक्षण पर जोर
पीएम मोदी ने कहा कि, मौजूदा पीढ़ी कल के नेता होंगे और इसलिए हमें उन्हें अभी से ही कर्तव्य और जिम्मेदारी का बोध कराना चाहिए ताकि वे ‘इंडिया@100’ के सपने और दृष्टिकोण को महसूस कर सकें। उन्होंने कहा कि,स्थानीय आदिवासी संग्रहालय बनाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी जानी चाहिए”। उन्होंने सुझाव दिया कि सीमावर्ती ग्राम कार्यक्रम युवाओं द्वारा चलाए जाने चाहिए, ताकि वे वहां रह रहे लोगों की जिंदगी को जान सके। इसी प्रकार प्रत्येक जिले में 75 तालाब और ऐसे अन्य कार्यक्रम जल एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए बनाए जाने चाहिए।