मिशन 2024 पर नीतीश कुमार-क्या है गेमप्लान?

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Delhi: तेलंगाना के सीएम केसीआर के साथ पटना में हुई मुलाकात के साथ बिहार सीएम नीतीश कुमार इन दिनों मिशन 2024 की तैयारी में जुटे हैं. इसी कड़ी में पिछले 2 दिनों से विपक्ष के नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं. सोमवार को ही वे 3 दिन के दौरे पर दिल्ली पहुंचे हैं और तब से उनका विपक्ष के नेताओं से लगातार मलाकात का दौर जारी है. पहले दिन ही उन्होंने विपक्ष के 5 बड़े नेताओं से मुलाकात की. इनमें कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, कर्नाटक के पूर्व CM और JDS नेता एचडी कुमारस्वामी, CPI(M) महासचिव सीताराम येचुरी, दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल, हरियाणा के पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला और NCP सुप्रीमो शरद पवार शामिल हैं. इसके अलावा तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी, शिवसेना (उद्धव गुट) और ओडिशा के CM बीजू जनता दल के नेताओं से भी नीतीश की मुलाकात प्रस्तावित है.

क्षेत्रीय पार्टियों के साथ मोर्चाबंदी की कवायद

बिहार में एनडीए से अलग होने और भाजपा से गठबंधन तोड़ने के बाद से ही नीतीश लगातार विपक्षी नेताओं से संपर्क साध रहे हैं. जैसा की ज्ञात है की क्षेत्रीय पार्टियों को साधकर नीतीश बीजेपी की मोर्चाबंदी की तैयारी कर रहे हैं. राजनीतिक गलियारों में नीतीश के दौरे को विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है. अगर, नीतीश के प्रयास सफल रहे तो 2024 के चुनाव से पहले भाजपा के खिलाफ कांग्रेस के साथ-साथ सभी क्षेत्रीय पार्टियां साथ आ सकती हैं जो बीजेपी की मुश्किलें 2024 में बढ़ा सकती है.

ग्रामीण वोटरों से बीजेपी को हराने का गेमप्लान

जैसा कि देखा जा रहा है कि बिहार सीएम नीतीश कुमार क्षेत्रीय पार्टियों से लगातार संपर्क बना रहे हैं. चाहे उतर हो दक्षिण या फिर पश्चिम हो पुरब नीतीश कुमार लगातार क्षेत्रीय दलों को जोड़कर महागठबंधन बनाने की दिशा में प्रयास कर रहे हैं. क्षेत्रीय पार्टियों का ग्रामीण इलाकों में बड़ा असर होता है. इसी फार्मूले को देखते हुए बिहार के सीएम बीजेपी को ग्रामीण वोटरों के जरिए मोर्चाबंदी में जूट गए हैं. देश के ग्रामीण इलाकों में लोकसभा की कुल 353 सीटे आती हैं. 2019 में भाजपा को 207 सीटों पर जीत मिली थी जबकि कांग्रेस और अन्य के खाते में 126 सीटें गई थीं.

ग्रामीण इलाकों पर क्यूं है नीतीश का फोकस?

नीतीश और गठबंधन का पूरा फोकस इन ग्रामीण इलाकों पर है. इसका कारण है कि, इन इलाकों में बीजेपी 2009 के मुकाबले में कमजोर थी. बीजेपी को 2009 में ग्रामीण इलाकों में सिर्फ 77 सीटों पर जीत मिली थी. जो 2014 में बढ़कर 190 और 2019 में 207 पर पहुंच गई. वहीं सेमी अर्बन की बात करें तो यहां 2009 में भाजपा को 20 सीटें मिली थीं, जबकि 2014 में यह बढ़कर 53 और 2019 में 58 पर पहुंच गई. उच्च शहरी इलाकों में बीजेपी के पास 2009 में 20 सीटें थीं, जो 2014 और 2019 में बढ़कर 40-40 सीटों पर पहुंच गई.

क्या सफल होगा नीतीश का गेमप्लान ? 500 सीटों पर सीधी लड़ाई की तैयारी में नीतीश

सुत्रों की मानें तो, बिहार सीएम नीतीश कुमार का गेमप्लान  है कि, तकरीबन 500 सीटों पर बीजेपी को सीधी टक्कर दी जाए. नीतीश का दिल्ली दौरा अगर सफल रहा और सभी दल एकजुट हो गए तो आगामी लोकसभा चुनाव में 500 से ज्यादा सीटों पर भाजपा से सीधी लड़ाई हो सकती है. जिन दलों के नेताओं के साथ से नीतीश संपर्क साधकर गठबंधन बनाने की कोशिश कर रहे हैं, वे सभी दल दक्षिण से लेकर उत्तर भारत तक प्रभावी हैं. चाहे तेलंगाना के सीएम केसीआर हों या फिर कर्नाटक में जेडीएस, पुरब में ममता और उड़ीसा के सीएम नवीन पटनायक से भी नीतीश कुमार संपर्क में हैं लेकिन यूपी में सपा को लेकर सस्पेंस बरकरार है. ऐसा नहीं है कि, नीतीश की यह बीजेपी के खिलाफ पहली कवायद है, 2015 में भी उन्होंने कोशिश की थी, लेकिन तब वे सफल नहीं हो सके थे. नीतीश के दिल्ली दौरे से 2024 के चुनाव पर क्या असर होगा ये तो आनेवाला वक्त ही बताएगा लेकिन सच्चाई यही है कि नीतीश के सामने विपक्ष की एकता ही सबसे बड़ी चुनौती होगी?

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